Manchala

हलकी सी जो नींद लगे
ख्वाबों में भी मोलना तुझसे यहाँ
पढ़ी किताबों में न जो दास्तान
जीयेंगे हंस कर
फिर डर किस बात का

बिसरा सा बन पंथी
तेरी ही धुन में मन चला
ना है मंज़िल का
ना ही है इसको
खुद का पता

मनचला हो गया है
इसको ये क्या
हुआ
मनचला खो गया है
ढूंढे क्या ये
क्या पता

धीमी सी है आहट तेरी
रहना अकेले भी अब मुमकिन कहाँ
खोये नहीं यादों का ये कारवां
जीयेंगे हंस कर
फिर डर किस बात का

बिसरा सा बन
तू आखिर किस
राह पर चला
मंज़िल पर भी क्यों
ना तू आकर
खुद का हुआ

मनचला हो गया है
इसको ये क्या
हुआ
मनचला खो गया है
ढूंढे क्या ये
क्या पता

मनमानी फिर भी क्यों ये
करता फिरे
जाने हकीकत
फिर भी चाहे बस तुझे
ढूंढे तुझमें अपना कोई
राज़दार
चाहें तू हो जहां
आये वहाँ
जाने जहाँ
चल तो ज़रा

बिसरा सा बन पंथी
तेरी ही धुन में मन चला
ना है मंज़िल का
ना ही है इसको
खुद का पता

मनचला हो गया है
इसको ये क्या
हुआ
मनचला खो गया है
ढूंढे क्या ये
क्या पता
मनचला हो गया है
इसको ये क्या
हुआ
मनचला खो गया है
ढूंढे क्या ये
क्या पता



Credits
Writer(s): Rajat Srivastava
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