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तेरे लिखे ख़त वो तेरी लाल डायरी
शाम की घड़ी सुनाता जब तू शायरी

तेरे लिखे ख़त वो तेरी लाल डायरी
शाम की घड़ी सुनाता जब तू शायरी
याद है मुझे हाँ याद अब भी है
तू लौट आएगा इंतज़ार अब भी है
याद है मुझे हाँ याद अब भी है
तू लौट आएगा इंतज़ार अब भी है

वो होंठों की छुअन सिहर उठे बदन
वो गेसुओं से मेरे लिपटे रहते तुम सनम
वो होंठों की छुअन सिहर उठे बदन
वो गेसुओं से मेरे लिपटे रहते तुम सनम
वो कानों में तू फुसफुसाए
मीठी सी कोई धून सुनाए
जैसे प्यार की हो लौरिया
वो हाथों को मेरे पकड़के
मुझसे तुम ये वादा करते
आएगी कभी ना दूरियाँ
याद है मुझे हाँ याद अब भी है
इन लबों को तेरा इंतज़ार अब भी है
हाँ याद है मुझे हाँ याद अब भी है
इन लबों को तेरा इंतज़ार अब भी है

न जाने क्या थी वो वजह
न जाने क्या वो बात थी
हाँ थोड़ा याद है मुझे
हाँ हिज्र की वो रात थी
न जाने क्या थी वो वजह
न जाने क्या वो बात थी
हाँ थोड़ा याद है मुझे
हाँ हिज्र की वो रात थी
तेरे इंतज़ार में खिड़कियों से झाँकती
थोड़ा वक़्त देखती खुदको सँवारती
तेरे इंतज़ार में खिड़कियों से झाँकती
थोड़ा वक़्त देखती खुदको सँवारती
याद है मुझे हाँ याद अभी भी
इन आँखों को तेरा इंतज़ार अब भी है
हाँ याद है मुझे हाँ याद अब भी है
इन आँखों को तेरा इंतज़ार अब भी है
हाँ याद है मुझे हाँ याद अब भी है
तू लौट आएगा इंतज़ार अब भी है।



Credits
Writer(s): Aakash Trivedi
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