Kya Fark Padta Hai

तू झूठी, तेरा वादा झूठा
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
मैं जियूँ, मर जाऊँ या मिट जाऊँ
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?

तू झूठी, तेरा वादा झूठा
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
मैं जियूँ, मर जाऊँ या मिट जाऊँ
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?

ख़्वाब आँखों मे टुकड़े-टुकड़े
साँसों में हैं बिखरे-बिखरे
कौन सा तेरा कुछ बिगड़ा है?
दिल तो मेरा टूटा है

तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?

तुझमें वफ़ा नहीं, इश्क़ तेरा झूठा है
तेरा सरापा तो सिर्फ़ एक धोखा है
हो-हो, तुझमें वफ़ा नहीं, इश्क़ तेरा झूठा है
तेरा सरापा तो सिर्फ़ एक धोखा है

तूने भुला के बातें, बदली हैं अपनी राहें
हर साँस पे रख दी हैं तनहाई की ये रातें
तुझको गरज़ है क्या, कोई तुझ पे मरता हैं

तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
Hmm, तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?

तुझसे दिल लगाने की कैसी है ये सज़ा?
आँसुओं में बंद है ज़िंदगी ये बेवजह
हो-ओ, तुझसे दिल लगाने की कैसी है ये सज़ा?
आँसुओं में बंद है ज़िंदगी ये बेवजह

अपना बना के तूने दिल में बसाया कब था
मेरा ख़याल तुझको वैसे भी आया कब था
तुझको है क्या इससे, दिल क्यूँ तड़पता है

तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?

तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?
तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है?



Credits
Writer(s): Pawan Muradpuri
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