O Musafir

किसको यहाँ परवाह तेरी
किसीको न आये याद तेरी
दो चार दिन का जो साथ मिला
झूठा या सच्चा है प्यार वही

क़दमों से तेरी तकदीर बने
अनजान राहें तेरी मीत बनें
दो पल की छाँव बड़ी मीठी लगे
पर ऐसे धागे ज़ंजीर बनें तो

दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर

सुन ओ मुसाफिर तुझे दूर जाना है
ना तेरा घर ना तेरा ठिकाना है
जिस शहर जाना वहां लौट न आना है
दिल जो लगाना है तो दिल ही दुखाना है

दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर

दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर
दिल ना लगा, ओ मुसाफिर



Credits
Writer(s): Pranay Dwivedi
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