Chidiya LoFi (Unplugged)

आँखें झुकती चुभन में, अश्क़ों में मगन ये
कैसी तेरी साँसें चढ़ गईं?
ओ, सखियाँ देखे अंजुमन में, सोचे सब मन में
कैसी-कैसी बातें बन गईं

तेरी आँख ये जो नम हैं, इनमें जो ग़म है
छोड़ के सुबह पे कर यक़ीं
हो, ये जो झूमता सावन है, मीठी जो पवन है
तेरी ही मुस्काँ से है बनी

ओ, तेरी बातों की चहक को ना जाने
ना जाने कैसी रात मिल गई
ना जाने कैसी रात मिल गई



Credits
Writer(s): Rahul Singh
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