Dekha Tha

देखा था ख्वाबो में तेरा वो चेहरा
हाँ नींदे खुली वो बिखर सा गया है
सर पर जो रातों को चढ़ता नशा था
हाँ सुबह को धीरे उतर सा गया है

जो नग़्मे सुनाए थे धुन में पिरोकर
वो धुन तो अब थोड़ी मर सी गयी है
बैठे थे शमो में तेरे ही हो कर
वो शामें भी अब तो गुज़र सी गयी है

हाँ रहो में चलकर वो साथ मिला था
उससे सफर यह बढ़ सा गया है

देखा था ख्वाबो में तेरा वो चेहरा
हाँ नींदे खुली वो बिखर सा गया है

लब को जो उसके लब से मिलाकर
यह ठंडी हवाएं भी तप सी गयी है
सूखे वो पत्तो में उसकी एओह नज़रे
हाँ ओस की बूंदे भर सी गयी है

हाँ सावन में उसके वो बादल चुराकर
हाँ सावन में उसके वो बादल चुराकर
बारिश से भी मन भर से गया है

देखा था ख्वाबो में तेरा वो चेहरा
हाँ नींदे खुली वो बिखर सा गया है
सर पर जो रातों को चढ़ता नशा था
हाँ सुबह को धीरे उतर सा गया है



Credits
Writer(s): Anupam Laad, Omkar Bhat, Pallav Soni
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