Waqt Ke Pare

तू
सुबह
मेरे
रात की
तू
है घटा
बरसात
की
तुझसे ही
दिन मेरे
तुझसे
शाम ढले
तुझ बिन
ओ सनम
जीना
मुझको
खले

मैं इत्र सा
बनके
फिरूँ
तू खुशबू
है
हवाओं
की
मैं ज़ख्म
हूँ
अतीत का
तू मर्ज़
है
दुआओं
की
(दुआओं की)
वक़्त के
परे
मिलना
जहाँ
वक़्त का
काम
नहीं
ज़माने से
दूर मिलना
जहाँ
इश्क़
बदनाम
नहीं
वक़्त के
परे
मिलना
कहीं
(संगीत)
वक़्त के
परे
मिलना
कहीं
वक़्त के
परे
मिलना
कहीं



Credits
Writer(s): Pushkar Singh
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