Khafa

गम को छुपाए, नज़रें चुराए
क्यूं ना बताए आरज़ू?
क्यूं है परेशां?
क्यूं आँख नम है?
क्यूं खुद से इतना है दूर तू?
क्यूं बातें तेरी इतनी हैं गुमसुम
और कितनी थोड़ी हैं
क्यूं रातें तेरी इतनी हैं रुसवा
नींदें निगोडी हैं
क्या है बता ये माजरा?
क्यूं है बता इतना खफा?

खुदको जो ढूंढे ज़माने में यूं
हैं आईने बस यहां कूबकू
सुनता नहीं क्यूं तू दिल की रज़ा?
तसव्वुर जहां का क्यूं लागे सज़ा?
गम को हंसके दिखा
गम जो उजाले परोसे जहां में
खुशियों की भूखी रातें कमा
वक्त की बातें, वक्त ना जाने
क्यूं अपने दिल को तू दे सज़ा?
क्यूं बातें तेरी इतनी हैं गुमसुम
और कितनी थोड़ी हैं
क्यूं रातें तेरी इतनी हैं रुसवा
नींदें निगोडी हैं
क्या है बता ये माजरा?
क्यूं है बता इतना खफा?
गम को हंसके दिखा



Credits
Writer(s): Vaibhav Srivastava
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