Dekhti Hi Raho Aaj Darpan

देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम
प्यार का ये मुहूरत निकल जाएगा, निकल जाएगा
देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम
प्यार का ये मुहूरत निकल जाएगा, निकल जाएगा

साँस की तो बहुत तेज़ रफ़्तार है
और छोटी बहुत है मिलन की घड़ी
गूँथते-गूँथते ये घटा साँवरी
बुझ ना जाए कहीं रूप की फुलझड़ी

चूड़ियाँ ही ना तुम...
चूड़ियाँ ही ना तुम खनखनाती रहो
ये शर्मशार मौसम बदल जाएगा, बदल जाएगा
देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम

सुर्ख़ होंठों पे उफ़ ये हँसी मदभरी
जैसे शबनम अंगारों की मेहमान हो
जादू बुनती हुई ये नशीली नज़र
देख ले तो ख़ुदाई परेशान हो

मुस्कुराओ ना ऐसे...
मुस्कुराओ ना ऐसे चुराकर नज़र
आईना देख सूरत मचल जाएगा, मचल जाएगा
देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम

चाल ऐसी है मदहोश मस्ती भरी
नींद सूरज-सितारों को आने लगे
इतने नाज़ुक क़दम चूम पाए अगर
सोते-सोते बियाबान गाने लगे

मत महावर रचाओ...
मत महावर रचाओ बहुत पाँव में
फ़र्श का मरमरी दिल दहल जाएगा, दहल जाएगा
देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम

क्या हुआ? खो गई कौन सी चीज़ है?
झुक रही है नज़र क्यूँ इधर से उधर?
होंठ सहमे हुए, बोल बहके हुए
है परेशान काजल क़दम बेख़बर

ना-ना पल्लू उठाओ...
ना-ना पल्लू उठाओ-गिराओ नहीं
शायरी का नया दौर चल जाएगा, चल जाएगा
देखती ही रहो आज दर्पण ना तुम
प्यार का ये मुहूरत निकल जाएगा, निकल जाएगा



Credits
Writer(s): Neeraj, Roshan
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