Aigiri Nandini

जय भवानी, जय अम्बा
जय भवानी, जय अम्बा

जय-जय जग-जननि देवि, सुर, नर, मुनि, असुर सेवी
भुक्ति, मुक्ति, दायिनि, भय-हरणि, कालिका
मंगल, मुद, सिद्धि सदनि, पर्व शर्वरीश वदनि
ताप, तिमिर, तरुण, तरणि, किरण मालिका

जय भवानी, जय अम्बा

जय भवानी...

जयति-जयति माँ भवानी, जय, जय-जय अम्बे
असुर मारे, सुर को तारे, जय-जय जगदम्बे
रिद्धी-सिद्धी देत माई, भक्त को रिझावे
भक्ति की जोत जगे, दस दिश प्रगटावे
दस दिश प्रगटावे, दस दिश प्रगटावे

सृष्टि की आन, बान, शान को सँभाले
मात कहो, माई कहो, गले से लगा ले
रिद्धी-सिद्धी देत माई, भक्त को रिझावे
असुर मारे, सुर को तारे, जय-जय जगदम्बे

अयि गिरि नन्दिनी नन्दिती मेदिनि, विश्व विनोदिनी नन्दिनुते
गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी, विष्णु विलासिनीजिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठ कुटुम्बिनी, भूरि कुटुम्बिनी भूत कृते
जय-जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते

सुर वर वर्षिणी दुर्धरधर्षिणी, दुर्मुखमर्षिणी घोषरते
त्रिभुवन पोषिणी शंकर तोषिणी, किल्विषमोचिणी हर्षरते
दनुजन रोषिणी दुर्मदशोषिणी, भवभयमोचिनी सिन्धुसुते
जय-जय हे महिषासुर मर्दिनी, रम्य कपर्दिनी शैलसुते

जय भवानी, जय अम्बा
जय भवानी, जय अम्बा



Credits
Writer(s): Alap Desai, Madhan Karky
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