Laparwah

यूँ ही तो है तू मुसाफ़िर खड़ा
ये ही तो है रास्ता
मुश्किल बड़ी हो या ना हो अगर
यूँ ही लिखी दास्ताँ

यूँ ही नहीं है तू लापता
क्या था जो तूने कहा?
पूछे कहाँ है तेरा कारवाँ?
है क्या कोई यहाँ?

सोचे क्यूँ ज़िंदा है? क्या है ये कोई सजा?
यूँ ही है मुश्किल है ये समा, ये जहां

यूँ ही तो है तू मुसाफ़िर खड़ा
यूँ ही मैं तेरे बिना
है क्या ये जो ना भरे मन तेरा?
तूने क्या सोचा बड़ा?

यूँ ही ना आसां है ये ज़िंदगी
यूँ ही ना मैं हूँ यहाँ
मुश्किल है ये दोस्ती जो तेरी
क्यूँ है तू खोया हुआ?

क्यूँ सोचता है? तू जी ले ज़रा लापरवाह
क्यूँ तेरे दिल ने ना माना है मेरा कहा?
मुश्किल है जो है ये ज़िद्दीपना तेरा
थम जा ज़रा एक पल, दिल खोल अपना

ये ही तो है तू मुसाफ़िर खड़ा
किसका तुझे इंतज़ार?
पल-दो-पल की है राह तेरी
क्यूँ ना रहे तू लापरवाह?



Credits
Writer(s): Anchit Magee, Sanjana Sarin
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