Nazar Nawaz Nazaron Mein

नज़र-नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
नज़र-नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए कि बहारों में जी नहीं लगता?

शब-ए-फ़िराक़ को ऐ चाँद आ के चमका जा
शब-ए-फ़िराक़ को ऐ चाँद आ के चमका जा
नज़र उदास है तारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए कि बहारों में जी नहीं लगता?

न पूछ मुझ से तिरे ग़म में क्या गुज़रती है
यही कहूँगा हज़ारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए कि बहारों में जी नहीं लगता?

फ़साना-ए-शब-ए-ग़म ख़त्म होने वाला है
फ़साना-ए-शब-ए-ग़म ख़त्म होने वाला है
'शकील' चाँद सितारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए कि बहारों में जी नहीं लगता?
नज़र-नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
वो क्या गए कि बहारों में जी नहीं लगता?



Credits
Writer(s): Shakeel Baduyani, Shanti Hiranand
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