Dillagi

किससे कहूँ, मैं तेरे बिन
कैसे-कैसे जीती हूँ
आँखों में तेरा दर्द लिए
हँस के ज़हर मैं पीती हूँ

क़सम है तुझे, मोहब्बत मेरी
मेरे इश्क़ को ना कहना दिल्लगी
क़सम है तुझे, मोहब्बत मेरी
मेरे इश्क़ को ना कहना दिल्लगी

किससे कहूँ, मैं तेरे बिन
कैसे-कैसे जीती हूँ
आँखों में तेरा दर्द लिए
हँस के ज़हर मैं पीती हूँ

चाहूँ मैं तुझे मोहब्बत से
पाऊँ मैं तुझे इनायत से
दुआ अब मेरी ख़ुदा से है
तू मिल जाए मुझे इबादत से

लम्हा मेरा वो गुज़र ही गया
ना आया तू ख़यालों में
ना आया तेरा जवाब कोई
जो पूछा था मैंने सवालों में

क़सम है तुझे, मोहब्बत मेरी
मेरे इश्क़ को ना कहना दिल्लगी
क़सम है तुझे, मोहब्बत मेरी
मेरे इश्क़ को ना कहना दिल्लगी

किससे कहूँ, मैं तेरे बिन
कैसे-कैसे जीती हूँ
आँखों में तेरा दर्द लिए
हँस के ज़हर मैं पीती हूँँ



Credits
Writer(s): Deepesh Sanmal, Nand-sugandh
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