Ake Manjil Pe Daga Doge

आके मंज़िल पे दग़ा दोगे, ये सोचा भी ना था
आके मंज़िल पे दग़ा दोगे, ये सोचा भी ना था
ये मोहब्बत का सिला दोगे, ये सोचा भी ना था
आके मंज़िल पे दग़ा दोगे, ये सोचा भी ना था
आके मंज़िल पे...

दिल मेरा तोड़ के, मुँह मोड़ के जाओगे कहाँ
मैं तुम्हें अपनी निगाहों से ना जाने दूँगा
दर्द की राह में डरता हूँ, ना खो जाओ कहीं
अपनी चाहत की पनाहों से ना जाने दूँगा

आके मंज़िल पे दग़ा दोगे, ये सोचा भी ना था
आके मंज़िल पे...

मेरी आँखों में है तस्वीर तुम्हारी कब से
मेरी पूजा हो, मेरे दिल की इबादत तुम हो
कितने जन्मों का है ये प्यार, तुम्हें क्या मालूम
कितनी सदियों की तड़पती हुई चाहत तुम हो

आके मंज़िल पे दग़ा दोगे, ये सोचा भी ना था
आके मंज़िल पे...



Credits
Writer(s): Dilip Dutta
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