Ruh

ये परछाइयों की सरगम है जो
तेरी मौजूदगी का परचम है
पनपती चाहतों की यूँ जैसे
एक कशिश और तड़पन है

इन बेकाबू चाहतों में
रहनुमा तेरी रूह
ये दूरियों के फ़ासलों में
बेगाना मेरा जुनूँ

हाँ, हाँ
हो, तेरी रूह
हाँ, हाँ
हो, तेरी रूह

इन आहटों के आलम में गुमशुदा तेरी रूह
इन आहटों के आलम में गुमशुदा तेरी रूह
मेरे दिल के पिंजरे में क़ैद है बहारा तेरी रूह

तू जीते जी मेरे सपनों की थी परी
आज तेरे बिन अधूरेपन में तरसती है जाँ मेरी

तेरी यादों की लहरों में मैं बहूँ
तेरे ख़ाबों के लम्हों में मैं रहूँ
ओ, बिना तुझे मैंने जाने, हाँ
तेरे सब्र में मैं हूँ खोया

बे-इंतेहाँ मोहब्बत का मेरे साया है तेरी रूह
बे-इंतेहाँ मोहब्बत का मेरे साया है तेरी रूह

रूह ये तेरी आशिक़ी है मेरी
ज़हन में मेरे, लम्हों में सारे

नज़रें जो ना देख पाएँ
वो अनोखी दास्ताँ है तू
आँसुओं की गूँज सुनाए
तड़पती, बेज़ुबाँ आत्मा है तू



Credits
Writer(s): Omkar Bhalerao
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