कौन हूँ मैं?

जो कभी ना रुके, वो हवा हूँ मैं।
जिसे कहे अमृत, वो दवा हूँ मैं।।
मेरा अंत नहीं कोई, अनंत हूँ मैं।
हर बात के लिए, एक हलंत हूँ मैं।।
जो है नीर तू, तो क्षीर सागर हूँ मैं।
जो भरा ना कभी, वो गागर हूँ मैं।।
है कौन वो, जो विचारों में बांधे मुझे।
है कौन वो, जो ज्ञान से लांघे मुझे।।
लांघे मुझे।।
मैं तो वो हूँ, जो कहीं है ही नहीं।
दावानल हूँ मैं, सिर्फ यज्ञाग्नि ही नहीं।।

अरे क्या दूँ परिचय, अपरिचित हूँ मैं।
होकर शरीरों में भी, असीमित हूँ मैं।।
असीमित हूँ मैं।।



Credits
Writer(s): Rao Aayush Yadav
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