Fir Kabhi

फ़िर कभी
अगर मिले कहि
चलते हैं वही जहां
बाते रह गई है अधूरी सी
अधूरी सी बाते
एक अनकही कहानी
तेरी मेरी नादानी

आओ ना पास मेरे
थोड़ी सी बाते करे
तुम्हारी जुल्फो के साये म
रात हो जाए
आओ ना पास मेरे
देख के तुमे
मुस्कुराए हैं, मुस्कुराए हैं
मुस्कुराए हैं आज

और जब तुम पास हो मेरे
साथ मेरे हार्डम जैसे
परचाई की तराहा
अंखो माई तुम्हारी
खो जाये जैसे नशा

अगर तुम ना हो तो
होंगे बादल
और रोएगा ये आसमान
तुमसे मिलने फिर हम आए
देखे बिना तुमे न पाए
और थेर जयेगा ये समाह
समाह

फिर कभी तुमसे ही तुमसे



Credits
Writer(s): Kumar Ayush
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