Kahani (Sonu's Version) [From "Laal Singh Chaddha"]

पम-पा-रा-रा-रा-रम

हो रहा है जो, हो रहा है क्यूँ
तुम ना जानो, ना हम, पम-पा-रा-रा-रा-रम
क्या पता हम में है कहानी
या हैं कहानी में हम, पम-पा-रा-रा-रा-रम

कभी-कभी जो ये आधी लगती है
आधी लिख दे तू, आधी रह जाने दे, जाने दे
ज़िंदगी है जैसे बारिशों का पानी
आधी भर ले तू, आधी बह जाने दे, जाने दे

हम समंदर का एक क़तरा हैं
या समंदर हैं हम? पम-पा-रा-रा-रा-रम

ये हथेली की लकीरों में लिखी सारी है
या ज़िंदगी हमारे इरादों की मारी है?
है तेरी-मेरी समझदारी समझ पाने में
या इसको ना समझना ही समझदारी है?

बैठी कलियों पे तितली के जैसी
कभी रुकने दे, कभी उड़ जाने दे, जाने दे
ज़िंदगी है जैसे बारिशों का पानी
आधी भर ले तू, आधी बह जाने दे, जाने दे

है ज़रूरत से थोड़ी ज़्यादा
या है ज़रूरत से कम? पम-पा-रा-रा-रा-रम

है बरसों की जानी हुई कभी सहेली
या कभी जो ना सुलझ पाए ऐसी पहेली
ये ख़ुशियों में शामिल करे सारे जहाँ को
क्यूँ पलकें भिगोए हमेशा ही अकेली?

हरी-भरी किसी टहनी के जैसी
कभी खिलने दे, कभी मुरझाने दे, जाने दे
ज़िंदगी है जैसे बारिशों का पानी
आधी भर ले तू, आधी बह जाने दे, जाने दे

एक लम्हे में दर्द जैसी है
दूसरे में मरहम, पम-पा-रा-रा-रा-रम
क्या पता हम में है कहानी
या हैं कहानी में हम, पम-पा-रा-रा-रा-रम



Credits
Writer(s): Amitabh Bhattacharya, Pritaam Chakraborty
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