Dil mera khali sa

दिल मेरा खाली सा
है तो खून लेकिन लगता है पानी सा
इसको पता भी ना
रहता कोन इसमें की बची जगह ही ना
कोशिश की काफी बार
धुंदी वजह लेकिन मिली वो यहां पे ना
सोचूं मैं सारी रात
करना क्या जीके जब मिले वजह ही ना

मिले जो लोग अलग थी सोच
तभी ना करूं मैं बातें
आ के वो रोज़ सपने में
मेरे मुझे है सताते
पूछते अक्सर क्यों न करता तू हमसे बातें
बोलता हसकर की खयाल दोनो के मिल ही ना पाते

सोचता हूं मैं खुदसे पूछता हूं मैं
करे क्या वो इंसान जो खुदसे रूठा हुआ है
नही है इसको पता की क्या कर रहा ये यहां
नही है इसने सोचा कैसे करे बाते बयान
खुदी से पूछता और खुद ही यह सोचता है
जो लगता सही इसको वो ये खुद से करता है
थोड़ा डरता भी है यह अंदर से मरता भी है यह
कोशिश यह कर रहा दुनिया से लड़ता भी है यह

लेकिन अब अपनी सोच को था बदलना
बचपन से गिरता आया अब तो था संभलना
अपनी इन उलझनों से भी था निकलना
छोड़ सबको पीछे अब अकेला ही है चलना
चलू अकेला मैं न दिखती मुझको मंजिल
बस मिलते लोग जो कहते मुझको बुस्दिल
उनकी यह सोच ही बदलना यह पे मुश्किल
मेरा क्या दोष की सोच है इनकी जाहिल

जाने क्यों मैं ऐसा हूं
खुदपे शक करता रहता हूं मैं
खुदको मैं बदल रहा
दुनिया से खुलके कहता हूं मैं
जाने क्यों मैं ऐसा हूं
खुदपे शक करता रहता हूं मैं
खुदको मैं बदल रहा
दुनिया से खुलके कहता हूं मैं
जाने क्यों मैं ऐसा हूं
खुदपे शक करता रहता हूं मैं
खुदको मैं बदल रहा
दुनिया से खुलके कहता हूं मैं



Credits
Writer(s): Prakhar
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