Khudaya Khair

रातों-रातों तारा कोई, चाँद या सितारा कोई
गिरे तो उठा लेना, ओ, ਸੋਹਨੀਓ रे
तारा चमकीला होगा, चाँद शरमीला होगा
नथ में लगा लेना

ज़रा सी साँवरी है वो, ज़रा सी बावरी है वो
वो सुरमे की तरह मेरी आँखों में ही रहती है

सुबह के ख़ाब से उड़ाई है
पलकों के नीचे छुपाई है
मानो ना मानो तुम, सोते-सोते ख़्वाबों में भी ख़ाब दिखाती है
मानो ना मानो तुम, परी है, वो परी की कहानियाँ सुनाती है



Credits
Writer(s): Gulzar, Pritam
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