Sirf Tum - Duet Version

ਮੌਲਾ ਮੇਰੇ, ਸਦਕੇ ਤੇਰੇ ਮੇਰੀ ਅਰਜ਼ ਪੁਗਾਈ
ਮੇਰੇ ਮੁਰਸ਼ਿਦ ਯਾਰ ਦੀ, ਯਾਰ ਦੀ ਮੈਨੂੰ ਦੀਦ ਕਰਾਈ
ਮੈਨੂੰ ਦੀਦ ਕਰਾਈ

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम

अब चाहे हिज़र में डूबूँ, अब चाहे फ़ना हो जाऊँ
पर नामुमकिन है तुझ बिन अब साँस भी मैं ले पाऊँ
हाँ, तेरे इश्क़ फ़क़ीरी चढ़ गई, हाँ, तेरे नाम का कलमा पढ़ गई
तुझे पाने की बेचैनी अब रूह में और भी बढ़ गई

ख़्वाबों की मिट्टी में जो बोई थीं मैंने दुआएँ
अक़्स तेरा ले के उभरी, अक़्स ये ले के उभरी
तू साँस लेता जिनमें वो सब महकती हवाएँ
साँस मेरी छू के गुज़री, साँस ये छू के गुज़री

अंगार तेरी चाहत के मैंने सुकून में घोले
तेरी तलब अब रगों में संग मेरे लहू के खौले
मुझे मेरे दम में, मेरे दम में, दम में
मुझे मेरे दम, हर क़दम पे अगर कोई चाहिए

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम

अब चाहे हिज़र में डूबूँ, अब चाहे फ़ना हो जाऊँ
पर नामुमकिन है तुझ बिन अब साँस भी मैं ले पाऊँ
हाँ, तेरे इश्क़ फ़क़ीरी चढ़ गई, हाँ, तेरे नाम का कलमा पढ़ गई
तुझे पाने की बेचैनी अब रूह में और भी बढ़ गई

(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)

मेरे आसमान का तू चाँद, मेरी आँखों की तू ज़ुबाँ
मैं किसी ग़ज़ल का मिसरा, तू मुक़म्मल सी दास्ताँ
तेरे बिन ना पाऊँ सँभल, तू मेरे ग़म का एक हल
तेरे साए में छुप गए मेरे आज और मेरे कल

शमशीर लगती है मुझको अब तेरी-मेरी दूरी
तू ज़िंदगी से भी बढ़ के, तू साँस से भी ज़रूरी
मेरी आह से, मेरी चाह तक, मेरा हर करम, मेरा हर भरम
मेरी रूह में, मेरी साँस में आबाद हो सिर्फ़ तुम

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (यादों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (बातों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (ख़्वाबों में)

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (यादों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (बातों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (ख़्वाबों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम

अब चाहे हिज़र में डूबूँ, अब चाहे फ़ना हो जाऊँ
पर नामुमकिन है तुझ बिन अब साँस भी मैं ले पाऊँ
हाँ, तेरे इश्क़ फ़क़ीरी चढ़ गई, हाँ, तेरे नाम का कलमा पढ़ गई
तुझे पाने की बेचैनी अब रूह में और भी बढ़ गई

(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)

(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)

बेबाक़ सा है तू दरिया, मैं हूँ सहमी-सहमी सी नदी
तेरी फ़ितरतें बहाव की, मैं कई किनारों से बँधी
इक तेरी बाग़ी वफ़ा, इक है मेरी आबरू
मेरा दिल, ज़िगर सब है तू, चाह कर भी कह ना सकूँ

मुझको नहीं अंदाज़ ये, हूँ क्या मैं क़ाबिल तेरे?
तेरी नज़र सागर मेरा, तेरी बाँहें साहिल मेरे
मेरी उल्फ़तों के हक़दार यार, १०० बार भी कर जन्म लो
उतरो कि सीने में साँस बनके, मेरे हमनशीं, सिर्फ़ तुम

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (यादों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (बातों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (ख़्वाबों में)

सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (यादों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (बातों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम (ख़्वाबों में)
सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम

अब चाहे हिज़र में डूबूँ, अब चाहे फ़ना हो जाऊँ
पर नामुमकिन है तुझ बिन अब साँस भी मैं ले पाऊँ
हाँ, तेरे इश्क़ फ़क़ीरी चढ़ गई, हाँ, तेरे नाम का कलमा पढ़ गई
तुझे पाने की बेचैनी अब रूह में और भी बढ़ गई

(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)
(सिर्फ़ तुम, सिर्फ़ तुम)



Credits
Writer(s): Amit Deep, Rahul Jain
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