Noor Hi Noor

संग-ए-मरमर से तुझको तराशा हुआ
प्यार तुझको भी मुझसे ज़रा सा हुआ
संग-ए-मरमर से तुझको तराशा हुआ
प्यार तुझको भी मुझसे ज़रा सा हुआ
प्यार तुझको भी मुझसे ज़रा सा हुआ

नूर ही नूर बिखरा हुआ है
चाँद पानी में उतरा हुआ है
एक अजब क़ैफ़ियत है, देखो
बहता पानी भी ठहरा हुआ है
बहता पानी भी ठहरा हुआ है

आ, छुपा लूँ तुझे, ना लगे फिर नज़र
अब ज़माने की तुझको, ऐ हमसफ़र
मेरे दिल पे हुआ अब तेरा असर
अब ले-ले ज़रा तू भी मेरी ख़बर
अब ले-ले ज़रा तू भी मेरी ख़बर

मेरे दिल पे तो अब बाख़ुदा ही
तेरा-तेरा ही पहरा हुआ है

नूर ही नूर बिखरा हुआ है
चाँद पानी में उतरा हुआ है
एक अजब क़ैफ़ियत है, देखो
बहता पानी भी ठहरा हुआ है
बहता पानी भी ठहरा हुआ है

दर-ब-दर मैं फिरूँ अपनी चाहत लिए
हाल-ए-दिल मैं करूँ कब तुझसे बयाँ?
तेरा एहसास है अब दिल को मेरे
मेरी यादों से एक पल भी तू ना गया
मेरी यादों से एक पल भी तू ना गया

रात कटती है बेचैनियों में
तुझसे रिश्ता जो गहरा हुआ है

नूर ही नूर बिखरा हुआ है
चाँद पानी में उतरा हुआ है
एक अजब क़ैफ़ियत है, देखो
बहता पानी भी ठहरा हुआ है
बहता पानी भी ठहरा हुआ है



Credits
Writer(s): Rashid Khan
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