Kitni Haseen

जब बिखरी ज़ुल्फ़ों को आँखों से अपनी, हाए, तू हटाए
फ़िज़ाएँ भी कोई नज़्म सी गाएँ जब भी तू मुस्कुराए

कितनी हसीन है तू, कितनी हसीन है तू
गुलाब से भी प्यारी लगे, इतनी हसीन है तू

तू नूर सी है मेरे लिए, जन्नतों का मैं क्या करूँ?
तू चाँद सी है मेरे लिए, तारों का मैं क्या करूँ?

तेरे बिना ये धड़कनों का करूँ तो क्या मैं करूँ?
तू ही बता दे, ज़ालिमा, इसमें मेरी ख़ता भी है क्या?

कितनी हसीन है तू, कितनी हसीन है तू
गुलाब से भी प्यारी लगे, इतनी हसीन है तू



Credits
Writer(s): Akash Mukeshkumar Mehta
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