Ek Tu Hi Kaafi Hai

तेरा हो हाथ मेरे हाथों में जो
दो साँसें भरूँ मैं सुकून की
मेरे हो पास तू रातों में जो
दो साँसें भरूँ मैं सुकून की

देखता रहूँ मैं तुझे
जब तक ये साँस बाक़ी है

इक तू ही क़ाफ़ी है मेरे जीने के लिए
इक तू ही क़ाफ़ी है मेरे होने के लिए
बस इक तू, हाँ, इक तू
इक तू ही क़ाफ़ी है

चाहत जो तूने दाग़ी, दिल ये बना है बाग़ी
अब तू ठिकाना है मेरा
तू रंग है सतरंगी, सुलझी तू, मैं बेढंगी
इक रंग क़ाफ़ी है तेरा

देखता रहूँ मैं तुझे
जब तक ये साँस बाक़ी है

इक तू ही क़ाफ़ी है मेरे जीने के लिए
इक तू ही क़ाफ़ी है मेरे होने के लिए
बस इक तू, हाँ, इक तू
इक तू ही क़ाफ़ी है



Credits
Writer(s): Gourov Dasgupta, Prashant Ingole
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