Sanjog (Male Version)

आई है जो ख़ुशी दिल की दहलीज़ पे
मेरी तो हर ख़ुशी उसकी उम्मीद पे
वो मेरी ज़िंदगी का जाम या घाव है
ठंडी सी धूप या वो तपती छाँव है

रंग हैं ये ममता के
कोख किसी की, किसी की गोद

संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग
संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग

मोल तो माँ की ममता का गिरधर भी चुका ना पाएँ
पाला जिन्हें यशोदा ने और माँ देवकी की जाए
वक्त है नदिया जैसा, और रिश्ते हैं इसकी धारा
और इन रिश्तों में माँ जैसा कोई ना पालनहारा

रंग हैं ये ममता के
कोख किसी की, किसी की गोद

संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग
संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग

धारा को कितना भी बाँधो, रुकती ना मुड़ती है
तपती है पर ईंट जहाँ की, वहीं जा के जुड़ती है
क़िस्मत में जो लिखा हो, ना किसी दर्द से वो पिघले
धीरे-धीरे सूखी रेत के जैसा हाथ से फ़िसले

रंग हैं ये ममता के
कोख किसी की, किसी की गोद

संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग
संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग
संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग
संजोग से जुड़ा अपना ये संजोग



Credits
Writer(s): Amit Deep Sharma, Rahul Jain
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