Jee Bhar Ke

रोने लगी हैं तन्हाइयाँ भी, फिर भी पुकारें तुझे
रोने लगी हैं तन्हाइयाँ भी, फिर भी पुकारें तुझे
तूने आँखों के परदे खोले, अब तो ये दिल भी बोले
हर इक एहसास भी बोले, "अब जी-भर के रो ले"

जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले

जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले

कैसी तेरी आदत, कैसी तेरी चाहत कहने लगी ये

जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले

कैसे करूँ खुद को बयाँ, जी ना सकूँ तेरे बिना
साया भी मेरा मुझसे ख़फ़ा, जीना लगे जैसे सज़ा
भीगी पलकों के हर एक आँसू में तेरा चहरा
दिल भी है बंजर-बंजर, सासें जैसे मुझसे जुदा

जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले
जी-भर के रो ले



Credits
Writer(s): Rahul Jain
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