Jaanwar (Full Version)

सूरज से पहले उग गया हूँ
धूप की नहीं दरकार अब
अंधेरे में भी देखता हूँ
तुमने बनाया तो उल्लू बन गया हूँ
क्या हुआ इंसान को?
बिक गयी असलियत
पढ़ के भी हैं गंवार
फरेबी है तरबियत
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?
बोझ सबका ढो रहा हूँ
आराम की नहीं आस अब
खाली रखता हूँ दिमाग मैं
तुमने बनाया तो गधा बन गया हूँ
क्या हुआ इंसान को?
बिक गयी असलियत
पढ़ के भी हैं गंवार
फरेबी है तरबियत
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?
रात को भी जागता हूँ
वक़्त की नहीं खराश अब
भौंकता हूँ पर काटता नहीं
तुमने बनाया तो कुत्ता बन गया हूँ
क्या हुआ इंसान को?
बिक गयी असलियत
पढ़ के भी हैं गंवार
फरेबी है तरबियत
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?
क्या मैं जानवर बन गया हूँ?



Credits
Writer(s): Ankit Bareja, Kartik Gupta
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