Baagi Bhagein Kahan

क्यों यहाँ बेदर्द है येह समां
क्यों यहाँ बेशर्म येह जहाँ

वादें हैं ठंडी ठंडी
बातें हैं मंदी मंदी
वादें हैं ठंडी ठंडी
बातें हैं मंदी मंदी

बागी हम भागें कहाँ
बागी हम भागें कहाँ
बागी हम भागें कहाँ
बागी हम भागें कहाँ

काफिर कहती है मुझको येह दुनिया सारी
कल तक मेरे दर पे जो था आज वह मुझपे पड़ता भरी
तेरे गलत कहने पर मैं कैसे थामु पैर अपने
पर जो फैले कल थे आज भी उड़ते करे सैर उनपे yeh
इल्ज़ामात दुनिया देती बेहिसाब पर न
बदले राह चर्चे चल रहे न हम हारते न
दिल का कुसूर हम सीमा तोड़ते art से हाँ
सींचा इसको दिल से तोह तू कैसे इसको रोक लेगा
तू करले कोशिश पर ऐसे आते हाथ में न
होगा तो बस कब्ज़ा तेरा mass पे पर art पे न
उल्फत रूमानी येह राब्ता जैसे रब से हाँ
सियाही भरते सच की क्यूंकि डरते न हम तख़्त से हाँ
मुक़द्दर अपना कर देगा सबको चूर चूर
सामाजिक बंधनों से कोसो हम हैं दूर दूर
मुख्तलिफ अपनी द्रिष्टि हम बस करते नाक पे वार
Democracy वाला देश एक तड़ीपार के हाथ
सिकंदर मुद्दत के हम flow को रखते तोड़ फोड़
बातें बस बड़ी तेरी वादे देना छोड़ छोड़
बागी है कालिख मेरी रुख तू अपने मोड़ मोड़
बुज़दिल है येह दुनिया सारी माँ की ममता ओढ़ ओढ़

बागी हम भागें कहाँ
बागी हम भागें कहाँ
बागी हम भागें कहाँ
बागी हम भागें कहाँ

बागी बागी
बागी बागी



Credits
Writer(s): Mousam Kausik, Pratik Adhikari
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