Arzoo

आरज़ू की शान में कहूँ ग़र तो ये
ख़ता की है शायद तुझे सोचते हुए

ये आरज़ू की शान में कहूँ ग़र तो ये
ख़ता की है शायद तुझे सोचते हुए

गुज़रते हुए लम्हों को आँखें देखती रहीं
सोयी ना ये रात भर और रोते हुए

गुज़रते हुए लम्हों को आँखें देखती रहीं
सोयी ना ये रात भर और रोते हुए

निशाँ तेरे अब भी दिल को छूते हैं यूँ
यादों की बारिश में जैसे भीगते हुए

आरज़ू की शान में कहूँ ग़र तो ये
ख़ता की है शायद तुझे सोचते हुए

ना है कोई रस्ता यहाँ ना मुसाफ़िर कोई
चलो दूर यहाँ से कहीं संभलते हुए

ना है कोई रस्ता यहाँ ना मुसाफ़िर कोई
चलो दूर यहाँ से कहीं संभलते हुए

भुलाऊँ तुझे कैसे या पुकार लूँ तुझे
बेधड़क बिना रुके या सिसकते हुए

आरज़ू की शान में कहूँ ग़र तो ये
ख़ता की है शायद तुझे सोचते हुए

ये आरज़ू की शान में कहूँ ग़र तो ये
ख़ता की है शायद तुझे सोचते हुए



Credits
Writer(s): Ashwin Alok
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