Malang Sa

कैसा ये मनचला मन मेरा
टिकता नहीं है किसी जगह

कभी बिजली सा हँसता, कभी बादल सा रोता
आसमाँ में बह रहा है तरंग सा, ओ

बावरा ये मन उड़े मेरा पतंग सा
फ़िरता आवारा, बेचारा मलंग सा

बावरा ये मन उड़े मेरा पतंग सा
फ़िरता आवारा, बेचारा मलंग सा

बे-परवाह, अपनी ही धुन में उड़ता जाए
दिल परिंदा, हम और ख़ुशी ते गीत गाएँ

कभी मुस्कुराए, कभी आँसू बहाए
Hey, बिख़र जाए फ़िज़ाओं में सातों रंग सा, ओ

बावरा ये मन उड़े मेरा...
फ़िरता आवारा, बेचारा मलंग सा

बावरा ये मन उड़े मेरा पतंग सा
फ़िरता आवारा, बेचारा मलंग सा

बावरा ये मन उड़े मेरा पतंग सा
फ़िरता आवारा, बेचारा मलंग सा

बावरा ये मन...
...पतंग सा

बावरा ये मन...



Credits
Writer(s): Vasuda Sharma, Vasudasharma
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