Maya

एक उलझी हुई दास्ताँ है ये
कुछ और नहीं बस माया है ये
रेत सी फ़िसलती, रुत सी बदलती
ना ज़मीं है, ना आसमाँ है ये

रास्ते कई, धुँधली है मंज़िल
सवालों का बवंडर, अँधेरा है ये
खोजती एक बूँद रोशनी की
मासूमियत मुस्कुराती सदा है ये

जैसे साए में लिपटी, कुछ दर्द में सिमटी
भभकती लौ सी, दिल की तलवार से लड़ती
जहाँ के माया जाल से बचती-बचाती
खोए पन्नों का अनसुना अफ़साना है ये



Credits
Writer(s): Kalyan Sen Barat
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