Hazir Main Rahun

सारे के सारे जहाँ में, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
तेरे ही दिल के मकाँ में, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
सारे के सारे जहाँ-, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
तेरे ही दिल के मकाँ-, हाँ, हाज़िर...

चाहूँ मैं इतना तुझे, जानूँ मैं तेरी आहटें
बाँहों में तेरी मैं रहूँ, मिले जो मुझे राहतें
दिल ये दे रहा दस्तकें कि इज़हार मैं करूँ
सह ना पाऊँ मैं फ़ुर्क़तें कि अब प्यार ही करूँ

जो तुझे मेरी याद आए, तो हाज़िर मैं रहूँ
जो तुझे कोई और रुलाए, तो वाक़िफ़ मैं रहूँ
जो तुझे कुछ मिल भी ना पाए, तो हासिल मैं करूँ
जो तुझे मेरी याद आए तो हाज़िर मैं रहूँ

सारे के सारे जहाँ में, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
तेरे ही दिल के मकाँ में, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
सारे के सारे जहाँ-, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
तेरे ही दिल के मकाँ-, हाँ, हाज़िर...

रातों को अकेले रहना, ऐसी भी क्या बात है?

रातों को अकेले रहना, ऐसी भी क्या बात है?
हूँ खड़ा मैं हाथ थामे, दिन, चाहे रात है
ख़ामियों को तेरी भुला के इक़रार मैं करूँ
सह ना पाऊँ मैं फ़ुर्क़तें कि अब प्यार ही करूँ

जो तुझे मेरी याद आए, तो हाज़िर मैं रहूँ
जो तुझे कोई और रुलाए, तो वाक़िफ़ मैं रहूँ
जो तुझे कुछ मिल भी ना पाए, तो हासिल मैं करूँ
जो तुझे मेरी याद आए तो हाज़िर मैं रहूँ

सारे के सारे जहाँ में, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
तेरे ही दिल के मकाँ में, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
सारे के सारे जहाँ-, हाँ, हाज़िर मैं रहूँ
तेरे ही दिल के मकाँ-, हाँ, हाज़िर...



Credits
Writer(s): Pratyush Dhiman
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