Kahan Chale

तुम अँधेरे में चाँद जैसे निकले
तुम सवेरे में धूप जैसे निकले

जाएँ कहाँ क़दम तुमको छोड़ के
मुझको तेरा ही सहारा है

कहाँ चले, ठहर भी जाओ
ये दिल का घर तुम्हारा है
तुम्हीं तो थे, तुम्हीं तो हो
जो कुछ है मेरा, तुम्हारा है

कहाँ चले, ठहर भी जाओ
ये दिल का घर तुम्हारा है
तुम्हीं तो थे, तुम्हीं तो हो
जो कुछ है मेरा, तुम्हारा है

शाम हुई, सारे थक कर
लौट आए परिंदे घर
शाम हुई, सारे थक कर
लौट आए परिंदे घर

आवारा चाँद खिड़की से चुपके
देखो, दबे पैर उतरा है
मैं जानता हूँ, चोरी से मेरे
बाजू के कमरे में ठहरा है

जाएँ कहाँ क़दम तुमको छोड़ के
मुझको तेरा ही सहारा है

कहाँ चले, ठहर भी जाओ
ये दिल का घर तुम्हारा है
तुम्हीं तो थे, तुम्हीं तो हो
जो कुछ है मेरा, तुम्हारा है

कहाँ चले, ठहर भी जाओ
ये दिल का घर तुम्हारा है
तुम्हीं तो थे, तुम्हीं तो हो
जो कुछ है मेरा, तुम्हारा है

लैला-मजनूँ, शीरीं-फ़रहाद, हीर-राँझा
अफ़साने इश्क़ के कुछ ऐसे मशहूर कर गए
देके ज़िंदगी अपनी, इश्क़ को ज़िंदा कर गए



Credits
Writer(s): Shabbir Ahmed
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