Gham

कुछ ऐसे ज़ख्म
जिन्हे भर नहीं सका
वक़्त का मरहम
कुछ ऐसी बातें
जो रह गई
अधूरी
जैसे बिन चाँद की रातें
कुछ मजबूर से तुम
कुछ बेबस से हम
और कुछ ज़माने का ग़म
ज़माने का ग़म

कुछ ऐसे वादे
जो बन कर रह गई
महज़ यादें, यादें
कुछ प्यार भरे पल
जो समाज के दायरों में
सिमट कर हुए ओझल
कुछ अकेले तुम
कुछ तन्हा से हम
और कुछ अधूरे होने का ग़म
होने का ग़म
होने का ग़म
होने का ग़म
ग़म



Credits
Writer(s): Anita Singh
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