Aarzu

आरज़ू...
...मैं हर सुबह
पास यूँ...
कहीं मत...

रात की आहट में कोई खनक सुकूँ की लगे
मन्नतों के दर पर ताबीज़ जैसे सजे

मेरी कहानी के हर एक पन्ने पे
सुंदर सा हिस्सा बनी तू
छिपाना भी चाहूँ, जताना भी चाहूँ
कि आओ, मेरे हो जाओ

तू ही है मेरी आरज़ू
माँगूँ मैं हर सुबह (माँगूँ मैं हर सुबह)
रखूँ मैं तुझे पास यूँ
कि तू कहीं मत जा (तू कहीं मत जा)

माँगूँ मैं हर सुबह
तू कहीं मत जा

रब से मैं माँगूँ क्या? दिखता वो तुझमें है
ख़्वाब है या मंज़िल?
रेत की तरह ये दिल है फ़िसलता
दे-दे इसे साहिल

मेरी कहानी के हर एक पन्ने पे
सुंदर सा हिस्सा बनी तू
छिपाना भी चाहूँ, जताना भी चाहूँ
कि आओ, मेरे हो जाओ

तू ही है मेरी आरज़ू
माँगूँ मैं हर सुबह (माँगूँ मैं हर सुबह)
रखूँ मैं तुझे पास यूँ
कि तू कहीं मत जा (तू कहीं मत जा)

सा नि रे गा, नि धा मा पा धा

माँगूँ मैं हर सुबह
तू कहीं मत जा



Credits
Writer(s): Shabdsh, Saarthak Srivastava
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