Heart Loss

राह अलग चुनी बेशक, मेहनत ना कर पाया
परिवार के भरोसे को, सहमत ना कर पाया
अब खता भी मेरी और सजा भी मेरी है
विफल हो रहा हूं तो बेशक वजह भी मेरी है

रोज निराशा के समंदर में, डूब के निकल आता हूं
रोज आशा के बवंडर में, घिरा खुद को पाता हूं
नाराज खुद के फैसलों से, निराश भी खुद से हूं
में कल भी खुद में था, में आज भी खुद में हुं।

कमबख्त मेरे फैंसले,मेरे खुद के पक्ष में ना है
मेरा खुद का व्यक्तित्व,मेरे खुद के अक्ष में ना है
मुस्कुराता था हर बात में पहले,अब हंसता तक नहीं
जिस अलग राह पे चला था, आगे रास्ता तक नहीं
पहले बोलते नहीं थकता था, अब बस चुप ही होता हूं
तुम बेशक ना सुनो मुझको, में खुद को खुद ही सुनता हूं
नाराज खुद के फैसलों से,निराश भी खुद से होता हूं
में कल भी खुद में था, में आज भी खुद में हुं।



Credits
Writer(s): Rohit Motser
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