Nigaahe

महबूबा तेरी निगाहें
करती हैं मुझसे बातें
महबूबा तेरी निगाहें
करती हैं मुझसे बातें

बचपन से मैं लड़का तन्हा सा
वो पहली शाम याद जब दिल खो गया
उसकी आँखों में था क्या ऐसा सुरूर
जब उससे मिली आँखे निगाह थम गया
मेरी आँखे ढूंढे अब उसकी रज़ा
जो बोले हा लेकिन वो आँखों में छुपा
उसकी बाते जैसे मेरी हो दवा
मै सुनता जाऊ पर ये मन ना भरा

तेरी बाते करता है दिल
मै न जानू कैसे ये तुम पे लूता
मिलना चाहता है दिल
मिलने की दे दो न कोई वजह

मेहबूबा तेरी निगाहें
करती हैं मुझसे बातें
मेहबूबा तेरी निगाहें
करती हैं मुझसे बातें

देर रातों को तेरी ही याद आए
भीगी बारिश ये यादों को समेटता है
यहाँ रूप देखे मैंने दिल को देखा है
दिल से चाहा और आँखों में सब एक सा है

तुझे लगती मेरी बातें मजाक सी
मैंने दिल से चाहा मिलना तू है लाज़मी
तेरी मेरी नज़रों ने की है बातें
एक ज़िन्दगी में तू मेरी है सादगी

मै कितना चाहू उसे
वो चाहे बता दूं उसे
पर मुझे डर है की
कही दूर न हो जाऊ फिर मैं
वो कहेगी साथ रहो तुम
मै बोलूं एहसास तो दे
ये तेरी मोहब्बत है नज़रों में
फिर क्यों अलफ़ाज़ दबे
(हा)
आज कहता ज़माना की प्यार बेगाना तो प्यार से दूर मैं
ये प्यार की बातें नहीं करता फिर निगाहें करती मजबूर है
पता नहीं किसका सुरूर ये प्यार में कई होते मशहूर हैं
प्यार में देते हैं जान ऐसे इंसान से ख़ुदा ऊपर महसूल ले

उसकी यादों में खोया रहता था
जो गीत गया मैंने वो दिल का कहाँ
मैंने कितना चाहा रब है गवाह
ये दिल है मासूम ये तुमसे जुड़ा
मेरी आँखे ढूंढे अब उसकी रज़ा
जो बोले हा लेकिन वो आँखों में छुपा
उसकी बाते जैसे मेरी हो दवा
मै सुनता जाऊ पर ये मन ना भरा

तेरी बाते करता है दिल
मै न जानू कैसे ये तुम पे लूता
मिलना चाहता है दिल
मिलने की दे दो न कोई वजह

मेहबूबा तेरी निगाहें
करती हैं मुझसे बातें
मेहबूबा तेरी निगाहें
करती हैं मुझसे बातें



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