Paar Laaye

बहकी सी धुन में बहका सा मन
खोई सी आहें ले बैठी निगाहें हैं
ये कैसा है दिन, राहों के बिन
अँधेरे में चलता हूँ गुफ़ाओं की बाँहों में

फिर ऐसे तू है बुलाए
बिन रास्तों के भी पार लाए
बन के तू लहरें आए
डूबते को फिर यूँ पार लाए

है ज़िद्दी क्यूँ जाने ना
खोया दिल माने ना
तेरी परछाई से कहता है ज़रा

फिर ऐसे तू यूँ बुलाए
कि हर रास्ते की तू हो दिशाएँ
बन के तू लहरें आए
डूबते को फिर यूँ पार लाए

यूँ पार लाए
यूँ पार लाए
यूँ पार लाए, हाय
यूँ पार लाए



Credits
Writer(s): Rajan Batra
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