Re Bhai Kaal Se Ke Ajhura

" निर्गुण "

---- शशि प्रेमदेव

रे भाई, काल से केs अझुराई?
काल से केs अझुराई??

महल-अटारी-कोठी-बँगला
कतहूँ केहू लुकाई!
बाँहि पकड़ि के,जम निर्मोही
ले जाई घिसिआई!!
-- रे भाई, काल से के अझुराई??

काल का आगा सबहीं अब्बर
का ठाकुर, का नाई!
केतनो छटकी-कूदी हिरना -
मउवत मा'र गिराई!
-- रे भाई, काल से के अझुराई??

काल से चिहुंकल रहिहs, साधो
करिहs जनि अधमाई!
अभिमानी मन के समुझइहs -
कंचन-तन जरि जाई!
-- रे भाई, काल से के अझुराई??



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