O Saathiya

ये मेरी ख़ामोशियाँ क्यूँ लगीं बोलने?
दिल में छुपी सारी बातें क्यूँ लगीं खोलने? हाय

शर्म-ओ-हया की हदें पार करके
आँखों ही आँखों में इज़हार करके
पागल क्यूँ है तेरे इश्क़ में? हाय

आशिक़ी कहूँ या इसे कहूँ मैं जुनूँ?
तुझे देखे बिना मुझे आए ना सुकूँ
क्या से क्या हो गए इश्क़ में

हाँ, मैं क्यूँ मैं ना रहा?
बता दे ज़रा, ओ, साथिया
हाँ, हाँ, मैं क्यूँ मैं ना रहा?
बता दे ज़रा, ओ, साथिया

दूर ना होना, पास ही रहना
यारा, आशिक़ी का वास्ता
मंज़िल तू ही है, तू ही सफ़र है
तुझसे जुड़ा हर रास्ता

हाथों की लकीरें जाती तेरे तक हैं
तुझपे ख़ुदा ने लिखा मेरा हक़ है
मेरे ही लिए है तू बना, हाँ

तुझसे जुड़ी है अब मेरी ज़िंदगी
तू ही है ख़ुदा भी, तू ही मेरी बंदगी
तेरे ही लिए है हर दुआ

बता, मैं पा लूँ तुझे
या हासिल करूँ, ओ, साथिया? हाँ-हाँ
हाँ, मैं क्यूँ मैं ना रहा?
बता दे ज़रा, ओ, साथिया



Credits
Writer(s): Ullumanati Ullumanati
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