Saath Hi

मेरे शहर में हैं ख़ामोशियाँ ही
तेरे शहर में है क्या वो फ़िज़ा?
जिसके शोरों में तुमको निहारा
तो क्या अब सफ़र में है पल कुछ ज़रा?

वो बाँहों में साँसें तेरी जो छुई थीं
आज भी एहसास है
तेरा वो मुस्काना, मुझमें सिमट जाना
आज भी साथ है

रहेगा साथ ही जब तक है ये जहाँ
रहेगा साथ ही जब तक हूँ मैं यहाँ

बेसबर तो मैं हूँ
पर तुझ सा कोई नहीं
दूरियाँ ही तो हैं
सह लेंगे सभी सही

अगर तू शामिल मेरे आख़िरी
पल में भी होंगी ख़ुशियाँ कई
हाथों में चेहरा तेरा थाम लूँगा
उसमें ही ख़ुशियाँ सभी

रहेगी साथ ही जब तक है ये जहाँ
रहेगी साथ ही जब तक तू है यहाँ



Credits
Writer(s): Kumar Aryan
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