Sapno Ke Pakhi

नींदों में पाखी, पल्कों के द्वारे
उतरे कोई
चंदा-सितारों के रध पे परियों की
डोली कोई

फूलों के रस्ते गाते यूँ हँसते
जुगनु हूँ जैसे, टिम-टिम-टिमकते
सपनों में जलते-भटकते
सपने ही सच में बदलते

टूटके सपना, 'गर यूँ उखड़े
चुभते हैं जैसे दर्द के टुकड़े
बिखरे हुए
छूटके अपना 'गर कोई बिछड़े
खुशियों से जैसे रंग हो उतरे
रूठे हुए

बिखरे-से नाज़ुक टुकड़े उठाते
जुड़ते-जुड़ाते, फिर मुस्कुराते
सपने ही बाती से जलते
सपने ही सच में बदलते



Credits
Writer(s): Shellee, Alan Demoss, Siddhartha Khosla
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