Safar

सफ़र की ये बात है
कबर में ही निकलेंगी रातें
बेफ़िकर हो के चल यारा
गिनती पे कट जानी सारी बची साँसें
सफ़र की ये बात है
कबर में ही निकलेंगी रातें
बेफ़िकर हो के चल यारा
गिनती पे कट जानी सारी बची साँसें

ख़याल आना बंद ही नहीं होते
इन सवालों पे जवाब शायद मौत
बेख़ौफ़ मेरा दिल
इस जहान में क्या डर के मिलेगा तुम्हें रोज़
ज़रा सा दे दो कदमों पे ज़ोर
हैं गाने मेरे शोध
तुम आधि आधि रात में फिर
जाग कर के कोसते हो ख़ुद को
दोबारा क्यों फिर खोजते नहीं ख़ुद को
जो बीते हुए साल हैं बस उन्हीं में तो लुप्त हो
इस भीड़ में तुम चुप हो
मज़ाक लगे सब इतना करूँ समय खर्च
और संगीत को ही देता हूँ मैं वक़्त
और संसार की इन बेड़ियों को तोड़
मैं तो निकला हूँ संभल
इनके ताने अब हवा हुआ दिल मेरा सख़्त
बातें कम करूँ करूँ ज़्यादा कर्म
नशे से हुआ दूर है हटाया सारा भ्रम
माँ की आँखों में थे आंसू
और कमज़ोर हुए हम जब शरीर पड़ा नम्ब

सफ़र की ये बात है
कबर में ही निकलेंगी रातें
बेफ़िकर हो के चल यारा
गिनती पे कट जानी सारी बची साँसें
सफ़र की ये बात है
कबर में ही निकलेंगी रातें
बेफ़िकर हो के चल यारा
गिनती पे कट जानी सारी बची साँसें

बेफ़िकर हो के चल यारा
गिनती पे कट जानी सारी बची साँसें



Credits
Writer(s): Subhesh Mishra
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