Na Tu Thi Sahi

चलिए शुरू करते है

जो तू होती मेरी तो
मेरी चाहत होती
जो संग रहे वो
तो मेरे
मन की राहत होती

वो दूर है
मजबूर है
है उसकी
खुद की हस्सी

ना जाने वो
पहचाने वो
क्या चीज़ें हैं
तेरी फसी

थिरखतें हैं मेरी
उँगलियों पर
सुरों के ये खेल
और तेरी हसी
जो ना हो
कोई करवट
ना तू थी कही
ना तू थी सही

जो मजबूर ना हो
हाथ मेरे तो
लिखदूं कहीं
किस्से जो ना सुन सके तू
होंठ अपने
सिलदूँ कहीं

(अब दिन ढले
कहदूँ तुझसे मैं
वो बातें अनकही
पर अब भी
डर लगता है के
कहीं खोदूँ मैं
तुझको नहीं)

वो दूर है
मजबूर है
है उसकी
खुद की हस्सी

ना जाने वो
पहचाने वो
क्या चीज़ें हैं
तेरी फसी

थिरखतें हैं मेरी
उँगलियों पर
सुरों के ये खेल
और तेरी हस्सी
जो ना हो
कोई करवट
ना तू थी कही
ना तू थी सही

थिरखतें हैं मेरी
उँगलियों पर
सुरों के ये खेल
और तेरी हस्सी
जो ना हो
कोई करवट
ना तू थी कही
ना तू थी सही

सब स्कैम है



Credits
Writer(s): Siddharth Pandey
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link