Ghar Ke Neeche Kahin (feat. Sanket Goswami)

घर के नीचे कहीं
दिल ये खिंचे वहीं
जिस जगह तू रहे हर पहर
तू आदत सा लगे
दिल रातों में जगे
दिन से कैसे हुआ दोपहर?
बस तेरे नाम पर,
ना घर ना काम पर
बेचैनी से घिरा
कुछ तो एहसान कर
जाते हो ऐसे क्यूँ?
दिल मेरा लेके तुम
सबकुछ थम जाता है
पल भर जो देखे तू
सबकुछ थम जाता है
पल भर जो देखे तू
घर के नीचे कहीं
दिल ये खींचे वही
जिस जगह तू रहे हर पहर
तू आदत सा लगे
दिल रातों में जगे
दिन से कैसे हुआ दोपहर?

इंतजार तेरे आने का
जैसे सदियों से कर रहा था
इंतजार तेरे आने का
जैसे सदियों से कर रहा था
मन ये बावला सा
तेरे आस पास है
मिलता कितनों से
पर तू कुछ खास है
अब तू ये देखले
क्या तेरा फैसला
मेरा दिल बेचैनी से
तेरे पीछे ही चला
अब तू ये देखले
क्या तेरा फैसला
मेरा दिल बेचैनी से
तेरे पीछे ही चला
बस तू इतना बोलदे
तेरे मन की डोर रे
मुझे खींचे तेरी ओर
मेरा मन क्यूँ ना रुके
घर के नीचे कहीं
दिल ये खिचे वहीं
जिस जगह तू रहे हर पहर
तू आदत सा लगे
दिल रातों में जगे
दिन से कैसे हुआ दोपहर?
घर के नीचे कहीं
दिल ये खिचे वहीं
जिस जगह तू रहे हर पहर
तू आदत सा लगे
दिल रातों में जगे
दिन से कैसे हुआ दोपहर?



Credits
Writer(s): Aniket Singh
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