Chot Jigar Par Khayee Aise

चोट जिगर पर खाई ऐसे
चोट जिगर पर खाई ऐसे
मैं जानूँ या वो जाने

ग़म में ईद मनाई कैसे
ग़म में ईद मनाई कैसे
मैं जानूँ या वो जाने
चोट जिगर पर खाई ऐसे

चोट लगे तो पत्थर टूटे
दिल तो आख़िर दिल ही है
दर्द-ए-दिल को दिल ही जाने
मुँह से कहना मुश्किल है

दिल में आग छुपाई कैसे
दिल में आग छुपाई कैसे
मैं जानूँ या वो जाने
चोट जिगर पर खाई ऐसे

क्या जाने वो प्यार का रिश्ता
जिसने दिल को तोड़ा हो
हम माँनेंगे उसे फ़रिश्ता
जिसने दिल को जोड़ा हो

प्यार की कैसी है गहराई
प्यार की कैसी है गहराई
मैं जानूँ या वो जाने
चोट जिगर पर खाई ऐसे

कहते जिसको है शहनाई
उसका दिल भी रोता है
हर एक साज़ में दर्द छुपा है
चोट से पैदा होता है

कब देता है दर्द दिखाई
कब देता है दर्द दिखाई
मैं जानूँ या वो जाने

चोट जिगर पर खाई ऐसे
मैं जानूँ या वो जाने
ग़म में ईद मनाई कैसे
मैं जानूँ या वो जाने
चोट जिगर पर खाई ऐसे



Credits
Writer(s): Zahid Husain, Jash
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link