Dheeme Dheeme Preet Hai Hoti
हम रस्ता देखी टुकुर-टुकुर
जैसे घड़ी की होवे टिकर-टिकर
है बिरहा की बाती तेज जले
पर प्रीत की धीमी डगर-डगर
जैसे बनते होंगे धरती में हीरे, धरती में हीरे
जैसे सूरज ढूँढे जमुना तीरे, जमुना तीरे
जैसे जलती होगी दीप में बाती, दीप में बाती
जैसे बनते होंगे सीप में मोती, सीप में मोती
वैसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
वैसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
हम रस्ता देखी टुकुर-टुकुर
जैसे घड़ी की होवे टिकर-टिकर
है बिरहा की बाती तेज जले
पर प्रीत की धीमी डगर-डगर
दिल का शहर, सूना शहर
तुम आए तो भर गया
एक अजनबी, एक दोपहर
मेरे नाम है कर गया
जैसे आकाशों में हंस हैं तैरें, हंस हैं तैरें
जैसे हौले पाँव आए सवेरे, आए सवेरे
जैसे पलकों-पलकों नींद है आती, नींद है आती
जैसे रिस-रिस के है याद सताती
मिलने ना मिलने की रीत है होती
ऐसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
सौ शामों की तन्हाइयाँ तुमपे न्योक्षावर करीं
धड़कन थकीं, राहें तकीं, तरकीबें अक्सर करीं
जैसे तारे गिनना कोई सीखे, कोई सीखे
जैसे देखे शामें साथ किसी के, साथ किसी के
जैसे उलझे-उलझे सुलझे धागे, सुलझे धागे
जैसे छाँव है चलती धूप के आगे, मन हारे तो जीत है होती
ऐसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
हम रस्ता देखी टुकुर-टुकुर
जैसे घड़ी की होवे टिकर-टिकर
है बिरहा की बाती तेज जले
पर प्रीत की धीमी डगर-डगर
जैसे घड़ी की होवे टिकर-टिकर
है बिरहा की बाती तेज जले
पर प्रीत की धीमी डगर-डगर
जैसे बनते होंगे धरती में हीरे, धरती में हीरे
जैसे सूरज ढूँढे जमुना तीरे, जमुना तीरे
जैसे जलती होगी दीप में बाती, दीप में बाती
जैसे बनते होंगे सीप में मोती, सीप में मोती
वैसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
वैसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
हम रस्ता देखी टुकुर-टुकुर
जैसे घड़ी की होवे टिकर-टिकर
है बिरहा की बाती तेज जले
पर प्रीत की धीमी डगर-डगर
दिल का शहर, सूना शहर
तुम आए तो भर गया
एक अजनबी, एक दोपहर
मेरे नाम है कर गया
जैसे आकाशों में हंस हैं तैरें, हंस हैं तैरें
जैसे हौले पाँव आए सवेरे, आए सवेरे
जैसे पलकों-पलकों नींद है आती, नींद है आती
जैसे रिस-रिस के है याद सताती
मिलने ना मिलने की रीत है होती
ऐसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
सौ शामों की तन्हाइयाँ तुमपे न्योक्षावर करीं
धड़कन थकीं, राहें तकीं, तरकीबें अक्सर करीं
जैसे तारे गिनना कोई सीखे, कोई सीखे
जैसे देखे शामें साथ किसी के, साथ किसी के
जैसे उलझे-उलझे सुलझे धागे, सुलझे धागे
जैसे छाँव है चलती धूप के आगे, मन हारे तो जीत है होती
ऐसे धीमे-धीमे प्रीत है होती, प्रीत है होती
हम रस्ता देखी टुकुर-टुकुर
जैसे घड़ी की होवे टिकर-टिकर
है बिरहा की बाती तेज जले
पर प्रीत की धीमी डगर-डगर
Credits
Writer(s): Neelesh Misra, Anuj Bhatt
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