Jab Phool Khile Khusboo Mahake

जब फूल खिलें, ख़ुशबू महके
और मौसम भीगा-भीगा हो
तुम आ जाना, तुम आ जाना
जब मन का गुलशन फीका हो

जब फूल खिलें, ख़ुशबू महके
और मौसम भीगा-भीगा हो

इस नगरी की है रीत अजब
ये नगरी जादू नगरी है
इस नगरी की है रीत अजब
ये नगरी जादू नगरी है

तुम मुझसे मिलने जब आना
माथे पे तुम्हारे टीका हो
तुम आ जाना, तुम आ जाना
जब मन का गुलशन फीका हो

ख़ल्वत में अगर तुम कुछ कहना
कुछ कहना भी तो धीरे से
ख़ल्वत में अगर तुम कुछ कहना
कुछ कहना भी तो धीरे से

नाराज़ कहीं ना हो जाएँ
क्या mood तुम्हारे फीका हो
तुम आ जाना, तुम आ जाना
जब मन का गुलशन फीका हो

Nayyar के शहर में जाते हुए
कुछ सोच-समझ के रखना क़दम
Nayyar के शहर में जाते हुए
कुछ सोच-समझ के रखना क़दम

ऐसा ना कहीं हो पछतावा
जंजाल तुम्हारे जी का हो
तुम आ जाना, तुम आ जाना
जब मन का गुलशन फीका हो

जब फूल खिलें, ख़ुशबू महके
और मौसम भीगा-भीगा हो
तुम आ जाना, तुम आ जाना
जब मन का गुलशन फीका हो



Credits
Writer(s): Nayyar Nadim
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