Durga Mahakaali

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते

(जय दुर्गे, जय दुर्गे-दुर्गे)
(जय दुर्गे, जय दुर्गे-दुर्गे)
(जय दुर्गे, जय दुर्गे-दुर्गे)
(जय दुर्गे, जय दुर्गे-दुर्गे) ਜੈ ਮਾਤਾ ਦੀ

ये कलयुग बड़ा ही ज़ालिम है
यहाँ महिषासुर हर कोने पे
होते हैं नर भी नतमस्तक
दुष्कर्म पाप के होने पे

पर देवी का जब रूप लिए अँगार नसों में सुलगा है
सतयुग बीत चला है पर अब हर नारी में दुर्गा है
...अब हर नारी में दुर्गा है
...अब हर नारी में दुर्गा-

भक्ति सुन भक्तों के मन की
सुख देती सबको जगजननी
ब्रह्माणी, रुद्राणी, भवानी
हे अम्बे, तू है दुख हरनी

हार असुर से लोग सभी विनती कर तुझे बुलाए हैं
शरण में तेरे देव सभी और महादेव भी आए हैं
...महादेव भी आए हैं
...महादेव भी आए हैं
...महादेव भी आए हैं
...महादेव भी आए हैं

इतिहास के पन्ने काँपे हैं हर नारी के बलिदानों से
कभी लड़ी तो कभी वो सती हुई, दुख सही वो कई ज़मानों से
पहनी वो चूड़ी हाथों में, तलवार भी ख़ूब चलाई है
झाँसी के रानी के क़िस्सों ने भी तो आग लगाई है

अब बात करें हम आज की; दामन और तेरे लाज की
जहाँ उँगली उठे तो काट बदल मानसिकता बुरे समाज की
काट, काट, काट बदल मानसिकता बुरे समाज की
काट, काट, काट बदल मानसिकता बुरे समाज की

नवदुर्गे, तेरे नाम अलग: तू परम अचल, तू पार्वती
तू शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, है रूप कई
तू कूष्माण्डा, स्कंदमाता, तू ही है कात्यायनी
कालरात्रि, महागौरी, तू ही सिद्धिदात्री

तू देवी दुर्गे, तू श्यामा गौरी
तू देवी अम्बे, तू शक्तिशाली
गल रक्त, पुष्प सज माला तेरे
तू कामरूप है, तू माँ काली

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते



Credits
Writer(s): Abhinav Shekhar
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