Hona Thha Jo

होना था जो होने लगा वो
उजालो में मैं खोने लगा
कोने से, दिलों के कोने से
गुज़रे जो मैं वो रास्ता।

जो ना था कभी मेरा वो
मेरा सा होने लगा
रोने से आखें भिगोने से
मेरा ना अब वास्ता।

कैसी बेक़रारी धीरे धीरे ये खुमारी
है चढ़ती जा रही
तनहाईयो के मंज़रो में चोरी चोरी
उमरें ढली।
कैसी ये जाने तन्हाई
मिलने ये मुझसे आयी

होना था जो होने लगा वो,
उजालो में मैं खोने लगा
कोने से, दिलों के कोने से,
गुज़रे जो मैं वो रास्ता

चल पड़ा जो रास्ते पे क्या पता
हूँ लापता मैं
मंज़िलों की खोज में यूँ लिख रहा
दास्तां मेरी
मुझ से ही मेरी रुसवाई,
मिलने ये मुझ से आयी।

होना था जो होने लगा वो,
उजालो में मैं खोने लगा
कोने से, दिलों के कोने से,
गुज़रे जो मैं वो रास्ता।

जो ना था कभी मेरा वो
मेरा सा होने लगा
रोने से, आखें भिगोने से,
मेरा ना अब वास्ता।



Credits
Writer(s): Amit Kori, Ujjwal Babu, Vivek Sampat
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